दिल्ली पुलिस के लिए बृहस्पतिवार को कानून व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी। जंतर-मंतर पर करीब 10 हजार लोगों के जुटने की संभावना है।
हरियाणा में चल रहे जाट आंदोलन की आंच बृहस्पतिवार को दिल्ली पहुंच गई है। आज दोपहर 11 बजे से जाट आंदोलनकारियों ने जंतर-मंतर में प्रदर्शन प्रदर्शन शुरू कर दिया है। जंतर-मंतर पर करीब 10 हजार लोगों के जुटने की संभावना है। पुलिस ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं।
कहा जा रहा है कि आंदोलन में हरियाणा और दिल्ली के अलावा हिमाचल, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश के जाट भी हिस्सा ले रहे हैं।
वहीं, तैयारियों के मद्देनजर एक बड़ा बदलाव किया गया है, जिसके तहत आंदोलनकारी अब ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर दिल्ली नहीं आ रहे, बल्कि इसके लिए बसों एवं अन्य गाड़ियों की व्यवस्था की गई हैं। दिल्ली में प्रदर्शन के बाद राज्यपाल को मांगों का ज्ञापन सौंपा जाएगा।
कानून व्यवस्था बनाए रखना होगी चुनौती
दिल्ली पुलिस के लिए बृहस्पतिवार को कानून व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक दो हजार पुलिसकर्मियों के अलावा पांच कंपनी पैरा मिलिट्री की तैनाती रहेगी। आवासीय इलाकों, नेताओं व अन्य वीआइपी के सरकारी आवासों के बाहर जवान मुस्तैद रहेंगे। हरियाणा से सटी दिल्ली की सीमा पर सभी रूटों पर काफी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।
तय होगा एजेंडा
प्रदर्शन के बाद जाट आरक्षण संघर्ष समिति नेता राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे। साथ ही आरक्षण के मसले पर संसद के घेराव की तारीख भी तय की जाएगी। आज ही जाट नेता आंदोलन का अगला एजेंडा तय करेंगे। जाट नेताओं की ओर से पेश होने वाले प्रस्तावों में दिल्ली की आर्थिक नाकाबंदी भी शामिल हो सकता है।
सड़क पर जाम से हो सकती है परेशानी
जाट नेताओं ने आंदोलनकारियों से महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, पटौदी और गुरुग्राम होते हुए दिल्ली पहुंचने के लिए कहा है. प्रदर्शनकारी बड़ी तादाद में गाड़ियों, ट्रैक्टर, ट्रॉलियों से दिल्ली के लिए कूच कर रहे हैं। लिहाजा नई दिल्ली और सेंट्रल दिल्ली के इलाकों में ट्रैफिक की समस्या रह सकती है।
खासकर नरेला और गुरुग्राम बॉर्डर के आसपास के इलाकों में ट्रैफिक की रफ्तार पर असर पड़ सकता है। आंदोलन के दौरान हिंसा को रोकने के लिए पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है।
जानें क्या हैं आंदोलनकारियों की मांगें
नौकरियों में आरक्षण के अलावा जाट चाहते हैं कि पिछले साल आंदोलन के दौरान गिरफ्तार लोगों को रिहा किया जाए। वहीं, आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को नौकरी, घायलों को मुआवजा और जाटों के खिलाफ एक्शन लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी उनकी मांगों की फेहरिस्त में शामिल है। पिछले साल फरवरी में जाट आंदोलन के दौरान हिंसा में 30 लोग मारे गए थे और करीब 200 घायल हुए थे।
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